Saturday, 21 November 2015

"फिर पलट रही हैं सर्दियों की सुहानी रातें,
फिर तेरी याद में जलने के जमाने आ गए।"

Friday, 20 November 2015

बहुत अजब होती हैं यादें यह मोहब्बत की,
रोये थे जिन पलों में याद कर उन्हें हँसी आती है;
और हँसे थे जिन पलों में अब याद कर उन्हें रोना आता है।

Wednesday, 18 November 2015

"नींद से क्या शिकवा जो आती नहीं रात भर,
कसूर तो उस चेहरे का है जो सोने नही देता।" 

Saturday, 14 November 2015

यादें भी क्या क्या करा देती हैं,
कोई शायर हो गया, कोई खामोश।

Monday, 9 November 2015

"अब ये न पूछना कि ये अल्फ़ाज़ कहाँ से लाता हूँ,
कुछ चुराता हूँ दर्द दूसरों के, कुछ अपनी सुनाता हूँ।"

Sunday, 8 November 2015

अगर तुम समझ पाते मेरी चाहत की इन्तहा,
तो हम तुमसे नही तुम हमसे मोहब्बत करते।

Saturday, 7 November 2015

नया कुछ भी नहीं हमदम, वही आलम पुराना है;
तुम्हीं को भुलाने की कोशिशें, तुम्हीं को याद आना है।

Tuesday, 3 November 2015

जिसने कभी चाहतों का पैगाम लिखा था,
जिसने अपना सब कुछ मेरे नाम लिखा था,
सुना है आज उसे मेरे ज़िक्र से भी नफरत है,
जिसने कभी अपने दिल पर मेरा नाम लिखा था।