Thursday, 28 January 2016

***मुझे मंज़ूर थे वक़्त के हर सितम मगर,
तुमसे बिछड़ जाना, ये सज़ा कुछ ज्यादा हो गयी।***

Saturday, 23 January 2016

***मौसम बहुत सर्द है,
चल ऐ दिल कुछ ख्वाहिशों को आग लगाते हैं।***

Saturday, 16 January 2016

***आज धुन्ध बहुत है मेरे शहर में,
अपने दिखते नहीं, और जो दिखते है वो अपने नहीं।***

Sunday, 10 January 2016

"तुम्हारा दीदार और वो भी आँखों में आँखें डालकर,
ये कशिश कलम से बयाँ करना भी मेरे बस की बात नहीं।"

Friday, 8 January 2016

***अकसर भुल जाता हूँ मैं तुझे शाम की चाय में चीनी की तरह,
फिर जिंदगी का फीकापन तेरी कमी का एहसास दिला देता है।***

Friday, 1 January 2016

"महक रही है जिंदगी आज भी जिसकी खुशबू से,
वो कौन था जो यूँ गुजर गया मेरी यादों से।"