***मुझे मंज़ूर थे वक़्त के हर सितम मगर, तुमसे बिछड़ जाना, ये सज़ा कुछ ज्यादा हो गयी।***
***मौसम बहुत सर्द है, चल ऐ दिल कुछ ख्वाहिशों को आग लगाते हैं।***
***आज धुन्ध बहुत है मेरे शहर में, अपने दिखते नहीं, और जो दिखते है वो अपने नहीं।***
"तुम्हारा दीदार और वो भी आँखों में आँखें डालकर, ये कशिश कलम से बयाँ करना भी मेरे बस की बात नहीं।"
***अकसर भुल जाता हूँ मैं तुझे शाम की चाय में चीनी की तरह, फिर जिंदगी का फीकापन तेरी कमी का एहसास दिला देता है।***
"महक रही है जिंदगी आज भी जिसकी खुशबू से, वो कौन था जो यूँ गुजर गया मेरी यादों से।"