"बदल गया वक़्,त बदल गयी बातें, बदल गयी मोहब्बत; कुछ नहीं बदला तो वो है इन आँखों की नमी और तेरी कमी।"
"अल्फ़ाज़ चुराने की ज़रूरत ही ना पड़ी कभी; तेरे बे-हिसाब ख्यालों ने बे-तहाशा लफ्ज़ दिए।"
****कभी थक जाओ तुम दुनिया की महफ़िलों से, हमें आवाज़ दे देना, हम अक्सर अकेले होते हैं।****
***तेरे बगैर इस मौसम में वो मजा कहाँ; काँटों की तरह चुभती है, दिल में बारिश की बूंदे।***
***खुशनसीब हैं बिखरे हुए यह ताश के पत्ते; बिखरने के बाद उठाने वाला तो कोई है इनको।***
***इश्क़ में हमने वही किया जो फूल करते हैं बहारों में; खामोशी से खिले, महके और फिर बिखर गए।***
***यह यादों का ही रिशता है, जो छूटता नहीं; वरना मुद्दत हुई कि वो दामन, छुडा चले गए।***