***खुद भी रोता है और मुझे भी रुला के जाता है,
ये बारिश का मौसम उसकी याद दिला के जाता है ***
मज़बूरी में जब कोई जुदा होता है, ज़रूरी नहीं कि वो बेवफ़ा होता है,
देकर वो आपकी आँखों में आँसू, अकेले में वो आपसे ज्यादा रोता है।
आँसू निकल पडे ख्वाब में उसको दूर जाते देखकर; आँख खुली तो एहसास हुआ इश्क सोते हुए भी रुलाता है!
किस मुँह से इल्ज़ाम लगाएं बारिश की बौछारों पर, हमने ख़ुद तस्वीर बनाई थी मिट्टी की दीवारों पर !!
"फ़िक्र तो तेरी आज भी है.. बस .. जिक्र का हक नही रहा।"