Friday, 30 September 2016

***अदा है, ख्वाब है, तकसीम है,

तमाशा है;मेरी इन आँखों में एक शख्स बेतहाशा है।***

Wednesday, 28 September 2016

***उस दिल की बस्ती में आज अजीब सा सन्नाटा है,

जिस में कभी तेरी हर बात पर महफिल सजा करती थी।***

Tuesday, 13 September 2016

***मुझे मालूम है ऐसा कभी मुमकिन ही नहीं,

फ़िर भी हसरत रहती है कि तुम याद करोगे***

Thursday, 8 September 2016

***वक्त ने बदल दिए तेरे मेरे रिश्ते की परिभाषा,
पहले दोस्ती , फिर प्यार , और फिर अजनबी सा अहसास***

Saturday, 3 September 2016

मैं भूल सा गया हूँ तुम्हारे बारे में लिखना आजकल..

सुकून से तुम्हें पढ़ सकूँ इतना भी वक्त नहीं देती है ये जिंदगी..

Friday, 2 September 2016

मिटाना भी चाहूँ तो भी मिटा नहीं सकता,
उसका नाम अपने दिल से..

क्योंकि मिटाए तो वो जाते हैं जो गलती से लिखे जाते हैं..