***अदा है, ख्वाब है, तकसीम है,
तमाशा है;मेरी इन आँखों में एक शख्स बेतहाशा है।***
***उस दिल की बस्ती में आज अजीब सा सन्नाटा है,
जिस में कभी तेरी हर बात पर महफिल सजा करती थी।***
***मुझे मालूम है ऐसा कभी मुमकिन ही नहीं,
फ़िर भी हसरत रहती है कि तुम याद करोगे***
***वक्त ने बदल दिए तेरे मेरे रिश्ते की परिभाषा, पहले दोस्ती , फिर प्यार , और फिर अजनबी सा अहसास***
मैं भूल सा गया हूँ तुम्हारे बारे में लिखना आजकल..
सुकून से तुम्हें पढ़ सकूँ इतना भी वक्त नहीं देती है ये जिंदगी..
मिटाना भी चाहूँ तो भी मिटा नहीं सकता, उसका नाम अपने दिल से..
क्योंकि मिटाए तो वो जाते हैं जो गलती से लिखे जाते हैं..