Saturday, 4 March 2017

***बिखरे अरमान, भीगी पलकें और ये तन्हाई,
कहूँ कैसे कि मिला मोहब्बत में कुछ भी नहीं***

Wednesday, 1 March 2017

***हुए जिस पे मेहरबां तुम कोई खुशनसीब होगा;
मेरी हसरतें तो निकली मेरे आँसुओं में ढलकर।***