मैंने कब चाहा कि वो ज़िंदगी मेरे नाम कर दे; बस मुझे चाहे, इतना सा काम कर दे; हर रोज़ सोचा करे, कुछ लम्हे बस; कब कहा कि मेरी याद में सुबह से शाम कर दे।
No comments:
Post a Comment