Monday, 17 March 2014

मैंने कब चाहा कि वो ज़िंदगी मेरे नाम कर दे;
बस मुझे चाहे, इतना सा काम कर दे;
हर रोज़ सोचा करे, कुछ लम्हे बस;
कब कहा कि मेरी याद में सुबह से शाम कर दे।

No comments:

Post a Comment