***एक लफ्ज़ उनको सुनाने के लिए; कितने अल्फ़ाज़ लिखे हमने ज़माने के लिए; उनका मिलना ही मुक़द्दर में न था; वर्ना क्या कुछ नहीं किया उनको पाने के लिए।***
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