Wednesday, 12 December 2012

मजबूर मोहब्बत जता न सके;
ज़ख्म खाते रहे किसी को बता न सके;
चाहतों की हद तक चाहा उसे;
सिर्फ अपना दिल निकाल कर उसे दिखा न सके।

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